Nafrat Shayari / Hate Shayari
लेकर के मेरा नाम मुझे कोसता तो है,
नफरत ही सही, पर वह मुझे सोचता तो है !!
तेरी नफरतों को प्यार की खुशबु बना देता,
मेरे बस में अगर होता तुझे उर्दू सिखा देता !!
नफरतों को जलाओ मोहोब्बत की रौशनी होगी,
वरना- इंसान जब भी जले हैं ख़ाक ही हुए है !!
लेकर के मेरा नाम मुझे कोसता तो है,
नफरत ही सही, पर वह मुझे सोचता तो है !!
कुछ इस अदा से निभाना है किरदार मेरा मुझको,
जिन्हें मुहब्बत ना हो मुझसे वो नफरत भी ना कर सके !!
नफ़रत हो जायेगी तुझे अपने ही किरदार से,
अगर मैं तेरे ही अंदाज में तुझसे बात करुं !!
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,
नफरत बता रही है तूने इश्क बेमिसाल किया था !!
तुझे प्यार भी तेरी औकात से ज्यादा किया था,
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही !!
ए खुदा रखना मेरे दुश्मनो को भी मेहफूज,
वरना मेरी तेरे पास आने की दुवा कौन करेगा !!
ना जाने क्यु कोसते है लोग बदसुरती को,
बरबाद करने वाले तो हसीन चहेरे होते है !!
हाथ में खंजर ही नहीं आंखोमे पानी भी चाहिए,
ऐ खुदा मुझे दुश्मन भी खानदानी चाहिए !!
एक नफरत ही है जिसे,
दुनिया चंद लम्हों में जान लेती है, वरना
चाहत का यकीन दिलाने में तो
ज़िन्दगी बीत जाती है !!
तुझे तो मोहब्बत भी तेरी औकात से ज्यादा की थी,
अब तो बात नफरत की है, सोच तेरा क्या होगा !!
उन्हें नफरत हुयी सारे जहाँ से,
अब नयी दुनिया लाये कहाँ से !!
इसी लिए तो बच्चों पे नूर सा बरसता है,
शरारतें करते हैं, साजिशें तो नहीं करते !!
फिर यूँ हुआ के गैर को दिल से लगा लिया,
अंदर वो नफरतें थी के बाहर के हो गये !!
दिखावे की मुहब्बत से बेहतर है नफरत ही करो हमसे,
हम सच्चे जज्बातो की बड़ी कदर किया करते हैं !!
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली यारो,
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते है !!
एक नफरत ही हैं जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती हैं,
वरना चाहत का यकीन दिलाने में तो जिन्दगी बीत जाती हैं !!
हमें भुलाकर सोना तो तेरी आदत ही बन गई है… ऐ सनम,
किसी दिन हम सो गए तो तुझे नींद से नफ़रत हो जायेगी !!
गुजरे हैं इश्क़ में हम इस मुकाम से
नफरत सी हो गई है मोहब्बत के नाम से
हम वो नहीं जो मोहब्बत में रो कर के
जिंदगी को गुजार दे
अगर परछाई भी तेरी नजर आ जाए
तो उसे भी ठोकर मार दें !!
जब से पता चला है, की मरने का नाम है “जींदगी”,
तब से, कफ़न बांधे कातील को ढूढ़ते हैं !!
वो जो हमसे नफरत करते हैं,
हम तो आज भी सिर्फ उन पर मरते हैं,
नफरत है तो क्या हुआ यारो,
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते हैं !!
अगर इतनी ही नफरत है हमसे तो,
दिल से कुछ ऐसी दुआ करो,
की आज ही तुम्हारी दुआ भी पूरी हो जाये,
और हमारी ज़िन्दगी भी !!
ये मोहब्बत है या नफरत कोई इतना तो समझाए,
कभी मैं दिल से लड़ता हूँ कभी दिल मुझ से लड़ता है !!
देख के हमको वो सर झुकाते हैं,
बुला कर महफ़िल में नजरें चुराते हैं,
नफरत हैं तो कह देते हमसे,
गैरों से मिलकर क्यों दिल जलाते हैं !!
उसने नफ़रत से जो देखा है तो याद आया,
कितने रिश्ते उसकी ख़ातिर यूँ ही तोड़ आया हूँ,
कितने धुंधले हैं ये चेहरे जिन्हें अपनाया है,
कितनी उजली थी वो आँखें जिन्हें छोड़ आया हूँ !!
न मोहब्बत संभाली गई, न नफरतें पाली गईं,
अफसोस है उस जिंदगी का, जो तेरे पीछे खाली गई !!
हंसने के बाद क्यों रुलाती है दुनियां,
जाने के बाद क्यों भुला देती है ये दुनियां,
जिंदगी में क्या कोई कसर बाकी थी,
जो मरने के बाद भी जला देती है ये दुनियां !!
खुदा सलामत रखना उन्हें,
जो हमसे नफरत करते हैं,
प्यार न सही नफरत ही सही,
कुछ तो है जो वो हमसे करते हैं !!
होते हैं शायद नफरत में ही पाकींजा रिश्तें,
वरना अब तो तन से लिबास उतारने को लोग मोहब्बत कहते हैं !!
वो नफरतें पाले रहे हम प्यार निभाते रहे,
लो ये जिंदगी भी कट गयी खाली हाथ सी !!
कदर करनी है, तो जीतेजी करो,
अरथी उठाते वक़्त तो नफरत
करने वाले भी रो पड़ते है !!
चला जाऊँगा मैं धुंध के बादल की तरह,
देखते रह जाओगे मुझे पागल की तरह,
जब करते हो मुझसे इतनी नफरत तो क्यों,
सजाते हो आँखो में मुझे काजल की तरह !!
एहसास बदल जाते हैं बस और कुछ नहीं,
वरना नफरत और मोहब्बत एक ही दिल में होती है !!
तुम्हारी नफरत पर भी लुटा दी ज़िन्दगी हमने,
सोचो अगर तुम मुहब्बत करते तो हम क्या करते !!
अच्छे होते हैं बुरे लोग,
कम से कम अच्छे होने का,
वे दिखावा तो नहीं करते !!
ना शाख़ों ने जगह दी ना हवाओ ने बक़शा,
वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता !!
ग़ज़ब की एकता देखी लोगों की ज़माने में,
ज़िन्दों को गिराने, मुर्दों को उठाने में !!
न मेरा एक होगा, न तेरा लाख होगा,
तारिफ तेरी, न मेरा मजाक होगा,
गुरुर न कर शाह-ए-शरीर का,
मेरा भी खाक होगा, तेरा भी खाक होगा !!
तुम नफरत करो या मोहब्बत,
दोनों हमारे हक में बेहतर हैं,
नफरत करोगे तो हम तुम्हारे दिमाग में,
मोहब्बत करोगे तो दिल में बस जायेंगे !!
कुछ जुदा सा है मेरे महबूब का अंदाज,
नजर भी मुझ पर है और नफरत भी मुझसे ही !!
ये मत कहना कि तेरी याद से रिश्ता नहीं रखा,
मैं खुद तन्हा रहा पर दिल को तन्हा नहीं रखा,
तुम्हारी चाहतों के फूल तो महफूज रखे हैं,
तुम्हारी नफरतों की पीड़ को जिंदा नहीं रखा !!
तुम नफरत का धरना कयामत तक जारी रखो,
मैं प्यार का इस्तीफा जिंदगी भर नहीं दूंगा !!
नफरतों के जहां में हमको प्यार की बस्तियां बसानी हैं,
दूर रहना कोई कमाल नहीं, पास आओ तो कोई बात बने !!
महोब्बत और नफरत सब मिल चुके हैं मुझे,
मैं अब तकरीबन मुकम्मल हो चुका हूँ !!
मोहब्बत करने से फुरसत नहीं मिली दोस्तो,
वरना हम करके बताते नफरत किसको कहते हैं !!
जब नफरत करते करते थक जाओ,
तब एक मौका प्यार को भी देना !!
हमें बरबाद करना है तो हमसे प्यार करो,
नफरत करोगे तो खुद बरबाद हो जाओगे !!
हाँ मुझे रस्म-ए-मोहब्बत का सलीक़ा ही नहीं,
जा किसी और का होने की इजाज़त है तुझे !!
कभी उसने भी हमें मोहब्बत का पैगाम लिखा था,
सब कुछ उसने अपना हमारे नाम लिखा था,
सुना है आज उनको हमारे जिक्र से भी नफ़रत है,
जिसने कभी अपने दिल पर हमारा नाम लिखा था !!
मत रख इतनी नफ़रतें अपने दिल में ए इंसान,
जिस दिल में नफरत होती है उस दिल में रब नहीं बसता !!
वो वक़्त गुजर गया जब मुझे तेरी आरज़ू थी,
अब तू खुदा भी बन जाए तो मैं सज़दा न करूँ !!
नफरत करने वाले भी गज़ब का प्यार करते हैं मुझसे,
जब भी मिलते हैं कहते हैं कि तुझे छोड़ेंगे नहीं !!
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